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1.जब भारत में aryans का आगमन हुआ अर्थात सनातन धर्म की स्थापना हुई, उससे भी पहले से आदिवासी भारत मे निवासरत है.
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2. आदिवासी तो dravidian से भी पहले का निवासी है
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3. आदिवासी की अपनी अलग पहचान है संस्कृति है , रीति रिवाज है.
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4. जिस तरीके का और जितना ज्यादा शोषण दलितों का हुआ ऎसा कभी भी आदिवासी का नहीं हुआ, जैसा दिखाया जाता है कि गले मे मटका और पीछे झाङू ऎसा कभी आदिवासियों के साथ नहीं हुआ, आदिवासियों का तो इतिहास रहा है कि भले ही ग़रीब रहा, जंगल मे रहा लेकिन कभी किसी की गुलामी नहीं करी. -
5. आदिवासी इतिहास मे अपनी अलग पहचान रखता है, आदिवासी लड़ायक कौम रही है, इसकी अपनी रियासतें और साम्राज्य रहा है. हमारे पुरखे एक प्राकृतिक योद्धा रहे हैं.
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6. देश का कोई भी आदिवासी यह नहीं कह सकता कि मेरा राज या राजपाट नहीं रहा । गोंड राज्य का गढा मण्डला या उरांव मुंडा राज्य का रोहतासगढ तथा भीलो का वागङ, कोटा, कुशलगड़ हो। खैर कालांतर में धोखे सब छीन और नष्ट कर दिया गया हो , लेकिन सबूत आज भी मौजूद है।
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उपरोक्त सभी बिंदुओं के आधार पर मे ये कहना चाहता हू की आदिवासी वर्ण व्यवस्था का हिस्सा नहीं हैं, आदिवासी शूद्र नहीं है और आदिवासी का इतिहास गौरवपूर्ण है, अलग पहचान है, st-sc के नाम पर जितना शोषित बताया जाता उतना नहीं है, इतना ज्यादा पिछड़ा बता दिया जाता है कि जैसे हमारे पास गौरव करने के लिए कुछ हो ही नहीं और हमने इतिहास मे कुछ किया ही ना हो, माना कि आदिवासी का नुकसान हुआ है लेकिन ऎसा नहीं कि हम अपने आप पर और अपने पुरखों पर शर्म करे,
खेर दलित भी अपने भाई हे, मे ऎसा बोल कर उन्हे अलग नहीं कर रहा, हम उनके साथ है, मे बस अपने गौरवपूर्ण इतिहास को बचाने की कोशिश कर रहा हूं. अब आप लोग अपने आप पर ज्यादा गौरव करेंगे 🙂
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जय जोहार जय आदिवासी
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bhai lage raho mai bhi dildar adivashi hu mai bhi apne adivashi samaj ko bachana chahta hu mera name prem tudu hai...
ReplyDeleteJay aadiwasi
Deleteजय जोहार जय आदिवासी
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