आज से पांच साल पहले तक सभी आदिवासी समुदाय अपने अपने को अगल अलग समझते थे
मध्यप्रदेस,छत्तीसगढ़,झारखंड,
उड़ीसा,राजस्थान,महाराष्ट्र, गुजरात सभी राज्यो के आदिवासी अपने आपको अगल समझता था कभी आपस मे एकता की भावना देखने को नही मिलती थी
आज से पांच साल पहले बहुत से आदिवासी पड़े लिखे अधिकारी,और स्टूडेंट्स सार्वजनिक तौर पर खुद को आदिवासी कहलाने से हिचकिचाते थे
आज से पांच साल पहले कोई भी आदिवासी युवा बीजेपी और कांग्रेस के नेताओ के खिलाफ दो शब्द भी विरोध में बोलने की हिम्मत नही करते थे
आज से पांच साल पहले हमारे आदिवासी समुदायों के जायदातर युवा आदिवासियों की जय बोलने की बजाय दूसरों की जय जयकार करते थे और दूसरों के झंडे और डंडे पकड़ कर रेलिया और धरना प्रदर्शन करते थे
आज से पांच साल पहले कोई आदिवासी युवा बीजेपी और कांग्रेस के गुलाम नेताओ को खुले तौर पर चुनोती देने की कल्पना भी नही करते थे
आज से पांच साल पहले आदिवासी समाज के जायदातर पड़े लिखे युवा और अधिकारी कर्मचारी पांचवी अनुसूचि, पैसा कानून और वनाधिकार कानून पर बहुत कम चर्चा करते थे लेकिन आज अलग अलग राज्यो में रहने वाले अलग अलग समुदायो में बटे हुवे भोले भाले आदिवासी फेसबुक,व्हाटसअप के माध्यम से जुड़े और उन्हें इस बात का एहसास हुआ है कि भील,भिलाला,गोंड़,कोल,संथाल उरांव,मुंडा सभी हम आदिवासी एक है इस देश के मूल लोग है और उसमें हमने सफलता भी हासिल की जिसका नतीजा आज पूरे भारत के लाखो आदिवासी एक प्लेटफार्म पर आए है
आज आदिवासी युवाओ में आदिवासी शब्द के प्रति देख नया जोश और जुनून पैदा हुआ है आदिवासियत के प्रति नया उत्साह पैदा हुआ है जिसका नतीजा है कि आज जायदातर आदिवासी युवा गर्व के साथ जय आदिवासी कहने लगे है गर्व के साथ जय आदिवासी का नारा बुलंद करने लगे है
आज ज्यादातर आदिवासी अधिकारी,कर्मचारी,स्टूडेंट्स सांविधान की पांचवी अनुसूचि,छटवी अनुसूचि, पैसा कानून,वनाधिकार कानून पर चर्चा करने लगे है
आज प्रदेश और देश के आदिवासी युवा बीजेपी और कांग्रेस पार्टियो की बजाय अपना एक अलग सामाजिक नेतृत्व तैयार करने की दिशा में बात करने लगे है और गर्व के साथ अबकी बार आदिवासी सरकार के नारे लगाने लगे है
आज आदिवासियों की चर्चा प्रदेश और देश के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रमुखता से होने लगी है शासन प्रशासन के प्रदेश स्तरीय और राष्ट्रीय कार्यलयों में आदिवासियों की चर्चाएं होने लगी है
आज आदिवासियों की राजनीतिक ताकत के बढ़ते हुवे प्रभाव को देखते हुवे बीजेपी और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों में कई सालों से हाँसिए पर पड़े रहने वाले आदिवासी नेताओ को तवज्जो मिलने लगी है यह सब हमारी नवनिर्मित अटूट एकता का कमाल है।
जिसका अंदाजा आप सभी प्रदेश और देश की राजनीति में मची हलचल से लगा सकते है
इतना सब होने के बाद भी हमारे समाज के कुछ गुमराह युवा घूम फिर कर हमारा ही विरोध करने पर तुले हुवे है दुनिया भर की अफवाहे फैलाना एक फैशन बन गया है लेकिन हम समाज में बदलाव लाने के लिए संघर्ष जारी रखेंगे, किसी भी कीमत पर हमारे समाज को ना तो लूटने देंगे और ना ही मिटने देंगे यह हमारा वादा है।
जय जोहार जय आदिवासी
I am glad to say that we the Adivasi of India are getting united and aware about safeguarding our culture, rights and great history. It all happens with us (the tribals of india) in near about last 5 years.
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