आदिवासीयो को कभी योग की जरूरत नही पडी।उसका जिंदा उदाहरण है भारत एवम् पाकिस्तान के कश्मीर की वादियो मे गिलगिट और बालिस्टान एवम् हिमाचल प्रदेश की वादियो मे बसा हुआ हुंजा आदिम समुदाय।वो अपनी प्राकृतिक जीवनशैली से औसतन 110 से 120 साल तक का स्वास्थयमय जीवन जी लेते है।
हुंजा आदिम समुदाय की महिलाये 70 की उम्र मे भी आधी उम्र की दिखती है और ईस उम्र मे भी बच्चे को जन्म देती है उसके अलावा यहा के पृरुष भी 90 की उम्र मे पिता बनते है।इन लोगो को देखकर आप इस बात का अंदाजा जरूर लगा पाएंगे की अच्छा खानपान और प्राकृतिक जीवन शैली को प्रभावित करता हैं|
कमाल की बात यह हैं कि इन लोगो की इतनी उम्र में बिमारी इनको छु भी नहीं पाती हैं|
कुछ लोग तो यहाँ 150 साल की उम्र तक जिन्दा रहते हैं| इन लोगो ने ट्यूमर जैसी बिमारियों का तो कभी नाम तक नहीं सुना होता हैं|
इस जनजाति के इतना लम्बा जी पाने के पीछे भी इन लोगों का लाइफस्टाइल हैं| इस जनजाति के लोग शून्य तापमान से कम पर भी प्रतिदिन ठंडे पानी से स्नान करते हैं| वही ये लोग प्रतिदिन 10 से 20 कि.मी तक पैदल भी चलते हैं| साथ ही ये लोग अपने खानपान का भी विशेष ध्यान रखते हैं| ये लोग वहीँ चीजे खाते हैं जिन्हें ये खुद उगाते हैं| खुमानी यहाँ के लोगों को काफी पसंद हैं| साथ ही ये लोग मेवे, सब्जियाँ और अनाज में जौ, बाजरा और कुटू खाते हैं| पहाड़ियों में रहने वाली हँसमुख, जवान और गोरे-चिट्टे लोगो की ये आबादी आसपास रहने वाले लोगों से काफी अलग दिखती हैं|
वैसे अब देखा जाये तो अब ये जनजाति हिमालय में रहती हैं| पर कुछ लोग इनको यूरोपीय नस्ल के मानते हैं| उनका मानना हैं कि ये लोग सिकन्दर महान के वंशज हैं| जो कि भारतवर्ष पर सिकंदर के आक्रमण के बाद यही रुक गए थे|
🍀जोहार आदिवासी🍀
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